विपुल प्रकाश, एग्जीक्यूटिव रिक्रूटर व पार्टनर, WJES (एग्जीक्यूटिव सर्च फर्म)
रोजगार की दृष्टि से नया साल काफी बेहतर रहने वाला है। संगठित क्षेत्र में पिछले दस वर्षों में 7.5 करोड़ रोजगार आए हैं। जबकि, इससे पहले के 10 वर्षों में यह संख्या 4.4 करोड़ थी। अनुमान है कि 2021 तक करीब ढाई करोड़ नौकरियां बढ़ेंगी और यह आंकड़ा 10 करोड़ तक पहुंच जाएगा।
सरकारी आंकड़ों की मानें तो इस क्षेत्र में आंकड़े बेहतर इशारा कर रहे हैं। दूसरी तरफ असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले लोग बड़ी संख्या में संगठित क्षेत्रों में आ गए हैं। इसका कारण नई-नई कैब कंपनियां, ऑनलाइन फूड डिलीवरी एप आदि हैं। यहां लोग अस्थायी तरह से काम करते हैं, लेकिन यह सेक्टर पहले के मुकाबले संगठित है।
जीएसटी के कारण भी खासकर टियर-2 शहरों में विभिन्न सेक्टर्स के लोग ज्यादा संगठित तरह से काम करने लगे हैं। हालांकि, इस दौरान बेरोजगारी भी तेजी से बढ़ी है। यह परेशानी टेलिकॉम, बैंकिंग, पॉवर, ऑटो आदि सेक्टर में आई सुस्ती के कारण हुई है। इन सेक्टर्स में नियमों और संरचनात्मक परेशानियों के कारण सुस्ती है।
नए वर्ष में ज्यादा नौकरियों की बात करें तो वर्ष 2019 की तरह ही इस वर्ष भी सर्वाधिक मौके आईटी क्षेत्र में मिलेंगे। इस क्षेत्र में मशीन लर्निंग, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में नौकरियां आएंगी। आईटी के अलावा दूसरे सेक्टर के स्टार्टअप्स भी युवाओं को मौका देंगे। अच्छी बात यह है कि बैंकिंग, हॉस्पिटैलिटी, टूरिज्म और इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी के संकेत मिले हैं और 2020 में इन सेक्टर्स में भी नौकरियां बढ़ेंगी।
नौकरियों की बेहतर संभावना बेंगलुरु, चेन्नई, पुणे और हैदराबाद जैसे शहरों में है। महंगे खर्च के कारण मुंबई और बढ़ते प्रदूषण के कारण दिल्ली अब बहुराष्ट्रीय कंपनियों की पहली पसंद नहीं रहे हैं, इसलिए इन शहरों में नए रोजगार की उम्मीद कम है। वहीं टियर-2 शहरों में नए मौके मिलेंगे। इसका बड़ा कारण है कि विभिन्न राज्यों में आज प्रगतिशील सरकारें हैं।
ये सरकारें अपने शहरों में स्टार्टअप शुरू करने वालों को बेहतर सुविधाएं और कई तरह की छूट दे रही हैं। निवेश लाने का हर संभव प्रयास कर रही हैं। जयपुर, भोपाल, इंदौर, गोवा, देहरादून, अहमदाबाद, नासिक, वडोदरा आदि शहर इसके लिए मुफीद हैं। कारण है कि इन शहरों में सरकारों ने काफी निवेश आमंत्रित किया है और यहां पर नई नौकरियों की संभावना है।
इस समय अर्थव्यवस्था की जैसी स्थिति है इसमें आने वाले साल में सेल्स की नौकरियों में लोगों की जरूरत होगी, क्योंकि कंपनियां के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती अपने उत्पादों की बिक्री बढ़ाना है। क्रेडिट कार्ड कंपनी, फार्मा इंडस्ट्री आदि में भी नौकरियां बढ़ेंगी। 2019 में हुई फ्लिपकार्ट डील से स्टार्टअप सेक्टर को नई उम्मीदें मिली हैं। कई कंपनियों की फंडिंग बढ़ी है, जो निश्चित ही हायरिंग भी बढ़ाएंगी।
हालांकि गिग इकोनॉमी (अस्थायी तौर पर छोटी अवधि की नौकरी) के कारण थोड़ी चिंता जरूर है। आज कई ऑनलाइन कंपनियां जल्दी-जल्दी लोगों को नौकरी पर रखती-निकालती रहती हैं। अपनी शर्तों पर ज्यादा काम करवाती हैं। इस कारण इन क्षेत्रों के लोगों ने कई बार विरोध भी दर्ज करवाया है।
हालांकि, अगर एक लाइन में कहें तो नौकरियों के लिहाज से 2020 काफी बेहतर रहने वाला है। दूसरी तरफ, लोगों की सैलरी भी बढ़ेगी। करीब दो माह पहले आई ग्लोबल एडवायजरी, ब्रोकिंग और सॉल्यूशन कंपनी विलिस टॉवर्स वॉटसन की रिपोर्ट कहती है कि इस साल भारत में लोगों की सैलरी करीब 10 फीसदी की दर से बढ़ेगी।
जो वर्ष 2019 की 9.9 फीसदी से थोड़ा ही सही लेकिन ज्यादा है। यह इसलिए भी बेहतर खबर है, क्योंकि यह बढ़ोतरी एशिया पैसिफिक क्षेत्र में सर्वाधिक होगी। इंडोनेशिया में इस साल 8 फीसदी, चीन में 6.5 फीसदी, फिलिपिंस में 6 फीसदी, हांगकांग और सिंगापुर में 4 फीसदी ही सैलरी बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।